बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 |
बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रथम भारत-पाक युद्ध (1947-48)
[The First India - Pakistan War (1947-48) ]
प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
अथवा
कश्मीर में 1947-48 में हुई सैन्य संक्रियाओं पर प्रकाश डालिये।
अथवा
1948 में भारत-पाक युद्ध में भारतीय स्थल सेना तथा वायु सेना की भूमिका का विस्तृत वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. 1948 में हुई कश्मीर सैन्य संक्रियाओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
(Kashmir War 1947-48)
पाकिस्तान की स्थापना तथा भारत की स्वतन्त्रता को मात्र डेढ़ माह का ही समय हुआ था, पाकिस्तान ने भारत में जम्मू एवं कश्मीर राज्य के विलय को लेकर न केवल विरोध किया, बल्कि कश्मीर पर सशस्त्र कार्यवाही करके भीषण आघात पहुँचाया।
पाकिस्तान का कश्मीर पर आक्रमण : पाकिस्तान ने अमेरिका की नीति से प्रभावित होकर स्वार्थसिद्धि के लिए महाराजा हरि सिंह के साथ हुए 'यथास्थिति' समझौते को तोड़कर कश्मीर के विरुद्ध आर्थिक नाकेबन्दी प्रारम्भ कर दी। पाकिस्तान ने लाहौर - जम्मू तथा रावलपिण्डी- श्रीनगर मार्ग व्यापार के लिए बन्द कर दिये, फलतः कश्मीर को पाकिस्तान से कपड़ा, पेट्रोल, नमक, शक्कर आदि आना बन्द हो गया। इस आर्थिक नाकेबन्दी के कारण वहाँ की जनता में असंतोष फैल गया। साथ ही गिलगित तथा पुंछ क्षेत्रों में महाराजा के विरुद्ध विद्रोह शुरू हो गया और तोड़-फोड़ भी होने लगी। पाक ने अपने नापाक इरादों का प्रदर्शन लगभग 5,000 अत्यन्त प्रशिक्षित कबाइली अनियमित सैनिकों को भेजकर किया। 3 सितम्बर, 1947 से ही इस संघर्ष की सैनिक शुरूआत हो गई।
सैन्य विद्रोह एवं आजाद कश्मीर की स्थापना : जिस समय कश्मीर अपनी आर्थिक नाकेबन्दी से उलझ रहा था उसी समय गिलगित के क्षेत्र 'गिलगित स्काउट' छठी जम्मू एवं कश्मीर राइफल्स के सैनिक पुलिस कर्तव्यों का निर्वाह कर रहे थे। पुंछ में पचास हजार से अधिक ऐसे किसान थे जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध में सैनिक सेवा की थी, पाकिस्तान ने धार्मिक युद्ध (जेहाद) के नाम पर इन किसानों (अवकाश प्राप्त सैनिकों) के द्वारा महाराजा के विरुद्ध विद्रोह को भड़का दिया और छठी जम्मू तथा कश्मीर राइफल्स मुसलमान सैनिकों की कम्पनियों ने भी गिलंगित क्षेत्र में विद्रोह कर दिया। इस विद्रोह के कारण कश्मीर की हालत अत्यन्त नाजुक हो गई। इस स्थिति का लाभ उठाकर पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित लगभग 5,000 कबाइलियों ने पाक सेना के उच्च सैनिक अफसरों के नेतृत्व में आक्रमण कर दिया। महाराजा की सेना इन सैनिकों एवं विद्रोही सेनाओं के समक्ष टिकने में समर्थ न थी, क्योंकि उनके पास मात्र 7 बटालियनें थीं, जिन्हें लगभग 250 मील लम्बी सीमा रेखा की रखवाली के लिए लगाई गई थीं।
21 अक्टूबर, 1947 को कबाइली सेना ने विद्रोही सेनाओं के साथ मिलकर मुजफ्फराबाद से अपना अभियान प्रारम्भ किया और आगे बढ़ते हुए बारामूला की ओर से श्रीनगर में घुसने का प्रयास करने लगी। बारामूला में जम्मू तथा कश्मीर सेना के 240 जवानों का वीरतापूर्वक नेतृत्व करते हुए ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह ने पाकिस्तानी सेना का मार्ग दो दिन तक अवरुद्ध रखा, लेकिन ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह वीरगति को प्राप्त हो गये और नेतृत्व के अभाव में बारामूला पर कबाइलियों का अधिकार हो गया। 24 अक्टूबर 1947 को बारामूला के पतन के साथ ही पाकिस्तान ने मुजफ्फराबाद रेडियो से 'स्वतन्त्र कश्मीर ने की घोषणा कर दी।
भारतीय स्थल तथा वायु सेना की भूमिका - कश्मीर के भारत में विलय की भारत की शर्त पर 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के विधिवत् भारत में विलय करने की घोषणा कर दी। अतः 27 अक्टूबर 1947 को ले. कर्नल रंजीत राय के नेतृत्व में प्रथम सिक्ख बटालियन वायुयान द्वारा श्रीनगर पहुँची। श्रीनगर पहुँचते ही भारतीय सेना ने बारामूला पर आक्रमण कर दिया, परन्तु भारतीय सिक्ख सैन्य टुकड़ी की तुलना में कबाइली सेना कहीं अधिक थी, अतः भारतीय सिक्ख बटालियन को पीछे हटना पड़ा। इस कार्यवाही में ले. कर्नल रंजीतराय को वीरगति प्राप्त हुई। भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरान्त महावीर चक्र प्रदान किया।
अब कश्मीर की सुरक्षा की बागडोर ब्रिगेडियर एल. पी. सेन को सौंप दी गई। भारतीय स्थल सेना की इस ब्रिगेड को भारतीय नभ सेना के कुछ 'स्पिट फायर' तथा 'हारवर्ड' सैनिक विमानों ने सुरक्षा कवच प्रदान किया। 3 नवम्बर को 4 कुमाऊ के कमाण्डर मेजर सोमनाथ शर्मा ने बड़गाम की पहाड़ियों के पास ही अपना मोर्चा सम्भाला तथा बड़ी बहादुरी से अपने से कई गुना शक्तिशाली शत्रुओं का सामना किया परन्तु इस लड़ाई में मेजर शर्मा वीरगति को प्राप्त हुए, जिन्हें मरणोपरान्त भारत सरकार ने 'परमवीर चक्र' प्रदान किया। इस भीषण संघर्ष में शलातंग के पास कबाइली सैनिक टिक नहीं सके अतः 8 नवम्बर, 1947 को भारतीय सेना ने बारामूला को शत्रु के अधिकार से मुक्त करा लिया।
1948 के भारत-पाक युद्ध में भारत के पास फाइटर बाम्बर (fighter bomber) वायुयानों की छ: स्क्वार्डन थी और प्रत्येक स्क्वार्डन में आठ जहाज थे। इसके अतिरिक्त परिवहन के लिए भारत के पास हल्के परिवहन विमान की एक स्क्वार्डन थी जिसमें सात वायुयान थे। इनके अतिरिक्त 20 छोटे लडाकू विमान तथा चार बड़े वायुयान शामिल थे।
जम्मू एवं श्रीनगर की हवाई पट्टी छोटी एवं केवल हल्के वायुयान के प्रयोग के लिए थी जिसे महाराजा हरि सिंह अपने लिए प्रयोग करते थे। इस हवाई पट्टी पर किसी भी प्रकार की नेवीगेशन, प्राथमिक उपचार, आपातकालीन आदि सुविधा मौजूद नहीं थी। हिमालय की श्रृंखलाओं से घिरी हुई इस हवाई पट्टी पर लड़ाकू विमानों को उतारना अपने आपमें एक चुनौती थी। भारत की सरकार को इस बात की भी जानकारी नहीं थी कि इस हवाई पट्टी पर कहीं पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा तो नहीं कर लिया है।
इन सभी खतरों के बावजूद भारतीय वायुसेना ने 27 अक्टूबर 1947 को अपने 12वीं स्क्वार्डन के तीन लड़ाकू विमान जम्मू एवं कश्मीर की इस हवाई पट्टी पर भेजे। भारतीय वायुसेना का यह निर्णय सार्थक सिद्ध हुआ। भारतीय सैनिकों ने तुरन्त ही पूरी हवाई पट्टी एवं कश्मीर को अपने नियन्त्रण में ले लिया। परिवहन विमानों के द्वारा भारतीय थल सेना को एयरलिफ्ट करके पूरे कश्मीर में फैला दिया गया। वायुसेना के छोटे लड़ाकू विमानों ने शत्रु की सेना पर गम्भीर आक्रमण कर उनके बढ़ते कदमों को रोक दिया तथा उनको वापस लौटने पर विवश कर दिया। वायुसेना ने युद्ध में एक ब्रिगेड को पूरे एक वर्ष 1 जनवरी, 1950 तक कश्मीर की सुरक्षा में तैनात रखा।
निर्णायक युद्ध : सन् 1947 के अन्तिम महीनों में प्रत्यक्ष रूप से, नियमित पाकिस्तानी सैनिकों ने सर्दी का लाभ उठाते हुए कश्मीर के गिलगित हुंजा तथा बागाह क्षेत्रों पर पुनः अपना अधिकार जमा लिया। इस प्रकार कश्मीर के युद्ध का प्रारूप खुलकर सामने आ गया।
सन् 1948 में कश्मीर में युद्ध की स्थिति गंभीर हो गई, इसलिए लगभग दो डिवीजन भारतीय सैनिक कश्मीर के विभिन्न मोर्चों पर भेजे गये। इसलिए पश्चिमी कमाण्ड को पुनर्संगठन करना जरूरी हो गया। इस पुनर्गठित पश्चिमी कमाण्ड की बागडोर लेफ्टीनेंट जनरल के. एम. करियप्पा को 26 जनवरी, 1948 को सौंपी गई।
श्रीनगर हवाई अड्डे पर विजय प्राप्त करने के बाद भारतीय सेना ने पाक तथा कबाइलियों के विरुद्ध विस्तृत रूप से सैनिक कार्यवाही प्रारम्भ कर दी। पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर को हड़पने के लिए कश्मीर राज्य पर अनेक स्थानों पर आक्रमण किया। जम्मू तथा पुंछ के क्षेत्र पाकिस्तानी सेना के लूटपाट के विशेष केन्द्र थे। पाकिस्तानी सेना ने पुंछ क्षेत्र में तेजी से बढ़ते हुए 6 फरवरी 1948 को नौशेरा के किले पर आक्रमण कर दिया, आरंभ में तो पाकिस्तानी सेना को अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई और पाकिस्तानी सैनिक भारतीय बंकरों में भी प्रवेश कर गये, परन्तु भारतीय सैनिकों ने ब्रिगेडियर उस्मान के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना से डट कर मुकाबला किया और शत्रुओं को खदेड़ कर नौशेरा को मुक्त करा लिया। 12 अप्रैल 1948 को भारतीय सेना ने राजौरी पर अधिकार कर लिया।
23 मई 1948 को भारतीय सेनाओं ने टिथवल में प्रवेश करके उसे शत्रु से मुक्त करा लिया। पुंछ की ओर बढ़ती भारतीय सेनाओं पर 3 जुलाई की रात पाकिस्तानी सेना ने भयंकर आक्रमण किया। इस आक्रमण में ब्रिगेडियर उस्मान को वीरगति प्राप्त हुई। मरणोपरान्त उन्हें महावीर चक्र प्रदान किया गया। अगस्त 1948 में आगे बढ़ते हुए भारतीय सेना ने पुंछ क्षेत्र की किशन घाटी और मेंढर पर अधिकार जमा लिया।
सितम्बर 1948 को भारतीय सेना ने जोजीला दर्रे पर अधिकार करने का प्रयास किया, परन्तु सफलता नहीं मिली। लगातार प्रयासों के बाद दिसम्बर 1948 में 12,000 फीट ऊँचे इस दर्रे पर अपने टैंकों सहित चढ़कर भारतीय सेना ने अपनी शौर्य गाथा का परिचय दिया और अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया।
युद्ध विराम : एक ओर जहाँ युद्ध का सिलसिला जारी था वहीं दूसरी ओर शांति प्रयास भी चल रहे थे। संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से समझौते के प्रयास भी हो रहे थे। 22 दिसम्बर 1947 को ही भारतीय प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत खाँ को पत्र लिखा कि पाकिस्तानी क्षेत्र से भारत पर हो रहे तथाकथित कबाइली आक्रमण रोकें। पाकिस्तान ने इस पत्र पर उचित ध्यान नहीं दिया तत्पश्चात् पं. नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में पाकिस्तानी आक्रमण के विरुद्ध ज्ञापन दिया। आखिर 1 जनवरी 1949 को एक वर्ष के युद्ध के बाद कश्मीर में युद्ध विराम समझौता संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयत्नों से लागू हो गया।
निष्कर्ष : कश्मीर का भारत में विलय हो जाने के पश्चात् कश्मीर भारत का एक भाग हो गया और कश्मीर के भू-भाग तथा उसके नागरिकों की सुरक्षा का उत्तरदायित्व भारत पर आ गया। फलतः कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में पाकिस्तान द्वारा फैलाये गये आतंक राज्य को समाप्त करने के लिए भारतीय सेनाओं को सशस्त्र संघर्ष करना पड़ा। इस युद्ध से यह भी निष्कर्ष निकलता है कि पाकिस्तान अपनी सफलता के लिए धर्म, जाति आदि की दुहाई देकर निम्न से निम्न हरकतें कर सकता है। अतः शक्ति के आधार पर ही इसका दमन सम्भव होगा। इस युद्ध ने भारतीय सेना की गौरवमयी गाथा को सत्य सिद्ध कर "दिया।
|
- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
- प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
- प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
- प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
- प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
- प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
- प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
- प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
- प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
- प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
- प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
- प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
- प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
- प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
- प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
- प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
- प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
- प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
- प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
- प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
- प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
- प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
- प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
- प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
- प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
- प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
- प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
- प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
- प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
- उत्तरमाला
- 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला